Vol 2, (2022)
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Folklore in Kannada Literature

Sreedhara P. D.
Head, Department of Hindi, Kristu Jayanti College, Autonomous

Published 2022-06-21

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How to Cite

P. D., S. . (2022). Folklore in Kannada Literature . Kristu Jayanti Journal of Humanities and Social Sciences (KJHSS), 2, 82–89. https://doi.org/10.59176/kjhss.v2i0.2227

Abstract

कनार्टक राज्‍य में ‘लोक साहित्‍य’ को ‘जनपद साहित्‍य’ के नाम से जाना जाता है। भाषा संस्‍कृति का प्रमुख अंग है। संस्‍कृति से संबन्धित सब कार्यों का मूल भाषा ही होता है। भाषा, समाज और संस्‍कृति ये तीनों का विशेष संबन्‍ध है। भाषा की अभिव्‍यक्ति कथा, गीत, कहावत, शायरी, चुटकुले आदि रूपों में प्रतिबिंबित होते हैं। इन्‍हीं दृश्‍य या श्रव्‍य काव्‍य रूपी अभिव्‍यक्ति के प्रकारों से अपनी संस्‍कृति द्वारा दर्शित होते हैं। इसी अभिव्‍यक्ति माध्‍यम भाषा के द्वारा ही सबका आचार-विचार, व्‍यवहार, पहचान, मन की भावनाएँ यहाँ तक कि चरित्र संस्‍कार भी परिलक्षित होते हैं। भाषा सिर्फ शब्‍दों का मायाजाल या संकर नहीं है। भाषा उसके उपयोग करनेवाले के जीवन के गति-विधयों के अनेक पहलुओं को दर्शाता है। भाषा में निहित सभी पद या शब्‍दों का अपना ही एक इतिहास रहता है। समाज के बीच संवहन माध्‍यम का इस भाषा संस्‍कृति के साथ सीधा संबन्‍ध है। मानव किया हुआ रूढीगत बातचीत, गाना-बजाना, नाचना-बजाना, जात्रा-जुलूस, महोत्‍सव-त्योहार, खेल-कूद, रीति-रिवाज, मान्यताएं, पूजा, विधि-विधान आचरण आदि जीवन के साथ अविनाभाव संबंध स्थापित कर चुके हैं।

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References

  1. जन-जनपद-जानपद, डॉ. एम्. चिदानंदमूर्ति, पृ. सं. 304
  2. कलबुर्गी जिल्‍लेय जनपद कथेगळ आशय मत्‍तु मादरिगळु, डॉ. वीरण्‍ण दंडे, पृ. सं. 14
  3. कन्‍नड़ जनपद साहित्‍य, डॉ. एस्.एस्. अंगडी, पृ. सं. 37
  4. जैन जनपद साहित्‍य, डॉ. एस्. पी. पद्मप्रसाद, पृ. सं. 8